भाजपा-कांग्रेस में दावेदारों की लंबी सूची

खिलावन चंद्राकर, भोपाल
मध्यप्रदेश में रिक्त हो रही राज्यसभा की 5 सीटों सहित देशभर की 53 राज्यसभा सीटों के लिए निर्वाचन प्रक्रिया शुरू हो गई है। इन सीटों के लिए 12 मार्च तक नामांकन भरे जायेंगे और जरूरी हुआ तो 23 मार्च को मतदान होगा। प्रदेश से भाजपा नेता एवं केन्द्रीय मंत्रीथावरचंद गहलोत, प्रकाश जावड़ेकर के अलावा एल. गणेशन, मेघराज जैन और कांग्रेस के सत्यव्रत चतुर्वेदी का कार्यकाल 2 अप्रैल को समाप्त हो रहा है।
इनमें केन्द्रीय मंत्री द्वय श्री गहलोत और श्री जावड़ेकर को पुन: राज्यसभा में भेजे जाने की प्रबल संभावना है। विधानसभा में संख्या बल के आधार पर भाजपा को 4 और कांग्रेस को एक सीट मिलना तय है। श्री गहलोत और श्री जावड़ेकर को छोड़ मेघराज, जैन और गणेशन को दोबारा राज्यसभा भेजने की संभावना कम है। ऐसे में यह तय माना जा रहा है, कि दोनों केन्द्रीय मंत्रियों के अलावा अन्य दो सीटों पर प्रदेश भाजपा नेताओं को ही अवसर दिया जाएगा। इन दोनों सीटों के लिये भाजपा में दावेदारों की लम्बी सूची है, जिसमें पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय, संगठन मंत्री माखन सिंह, प्रदेश महामंत्री अजय प्रताप सिंह, प्रदेश उपाध्यक्ष विनोद गोंटिया, मुख्य प्रवक्ता दीपक विजयवर्गीय एवं पूर्व केन्दीय मंत्री विक्रम वर्मा और इंदौर के महापौर रहे कृष्ण मुरारी मोघे का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है। आने वाले 2-3 दिनों में प्रत्याशियों के नाम सामने आएंगे।
केन्द्रीय मंत्री गेहलोत भाजपा के कद्दावर दलित नेता हैं। वे प्रधानमंत्री मोदी के करीबी माने जाते हैं, केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर हालांकि महाराष्ट से आते हैं किन्तु पिछली बार उन्हें मध्यप्रदेश के कोटे से राज्यसभा में भेजा गया था, उनके गृह राज्य महाराष्ट्र में भी 6 सीटों पर चुनाव हो रहा है इसके बावजूद उन्हें मध्यप्रदेश से राज्यसभा भेजा जाना तय माना जा रहा है। वे कांग्रेस नेता कमलनाथ की परंपरागत संसदीय सीट छिंदवाड़ा में लगातार दौरा कर रहे हैं और अपनी सांसद निधि का उपयोग भी छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र में ही कर रहे हैं। बताया जाता है कि प्रदेश से जावड़ेकर को पुन: राज्यसभा में भेजकर पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव में छिंदवाड़ा और उससे लगी संसदीय सीटों पर उनका उपयोग करेगी। अपै्रल में कर्नाटक और फिर तमिलनाडु विधानसभा चुनाव के मद्देनजर श्री गणेशन को किसी दूसरे राज्य से राज्यसभा भेजा जा सकता है। वहीं उम्रदराज मेघराज जैन को विश्राम दिया जा सकता है। राज्य में हुए 2 विधानसभा उपचुनावों में भाजपा की पराजय हुई है इसके मद्देनजर राज्यसभा प्रत्याशी चयन को लेकर संघ भी अपना दखल दे सकता है। क्योंकि इस उपचुनाव में हार के बाद संगठन और सरकार के कामकाज को लेकर संघ ने नाराजगी जाहिर की है।

भाजपा के प्रमुख दावेदार कैलाश विजयवर्गीय अभी इंदौर के महू से विधायक हैं और वे प्रदेश में अपने पुत्र को राजनैतिक उत्तराधिकारी के रूप में सामने लाने का प्रयास कर रहे हैं। श्री विजयवर्गीय राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय हैं। उन्हें पश्चिम बंगाल जैसे महत्वपूर्ण राज्य का प्रभारी बनाया गया है, ऐसी दशा में उनका कद बढ़ाने के लिये राज्यसभा में भेजा जा सकता है, वे राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के विश्वास पात्र भी माने जाते हैं, राष्ट्रीय संगठन मंत्री माखन सिंह को भी पिछले दरवाजे से संसद में भेजे जाने की बात लगातार होती रही है, इसलिए उनके नाम पर भी मुहर लगाई जा सकती है। प्रदेश महामंत्री अजय प्रताप सिंह को कई बार महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिली है, पिछले राज्यसभा चुनाव में भाजपा मुख्यालय से उन्हें निर्दलीय चुनाव लडऩे का फरमान जारी हुआ था किन्तु उन्होंने निर्दलीय लडऩे से इंकार कर दिया था। तब उनके स्थान पर प्रदेश उपाध्यक्ष विनोद गोटिया को नामांकन भरवा कर भाजपा ने कांग्रेस को मुश्किल में डाल दिया गया था। प्रदेश भाजपा के मुख्य प्रवक्ता डॉ. दीपक विजयर्गीय को संघ की पृष्ठभूमि का फायदा मिल सकता है। वैसे भी उन्हें प्रदेश के किसी निगम- मंडल में लेने की संभावना थी किन्तु ऐसा नहीं हो सका, अब उनको राज्यसभा में भेजने की सहमति बन जाये तो कोई आश्चर्य नहीं। प्रदेश में मंत्री, नेता प्रतिपक्ष और राज्यसभा के सांसद रहे वरिष्ठ भाजपा नेता विक्रम वर्मा के नाम पर भी विचार किया जा सकता है। उन्हें पिछली बार भी राज्यसभा में भेजने की सुगबुगाहट थी, किन्तु  वरिष्ठ पत्रकार एम.जे. अकबर के नाम पर मुहर लगी, संघ की पृष्ठभूमि से निकल कर राजनीति की मुख्य धारा में आये कृष्ण मुरारी मोघे भी राज्यसभा में जाने के लिये राजनैतिक जमावट कर रहे हैं, वे वर्तमान में मध्यप्रदेश हाऊसिंग बोर्ड के अध्यक्ष हैं, पिछली बार भी जोर-शोर से उनके नाम की चर्चा चली थी। बाद में उन्हें हाउसिंग बोर्ड का अध्यक्ष बनाकर कैबिनेट मंत्री का दर्जा दे दिया गया था।

इधर, कांग्रेस के खाते में जाने वाली एक मात्र राज्यसभा सीट के लिये एक अनार सौ बीमार की स्थिति है, कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता सत्यव्रत चतुर्वेदी को पुन: राज्यसभा भेजे जाने की संभावना कम है, क्योंकि प्रदेश में पार्टी के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती राजनैतिक संतुलन बैठाना भी है। ऐसे में सबसे प्रमुख दावेदार पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुरेश पचौरी को माना जा रहा है। वे प्रदेश के कद्दावर ब्राम्हण नेता माने जाते हैं, इस वर्ग की नाराजगी को दूर रखने के लिये उन्हें एक बार फिर राज्यसभा भेजा जा सकता है। इसके पूर्व भी वे लगातार 3 बार इस सदन के सदस्य रह चुके हैं। दूसरे प्रबल दावेदारों में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव का नाम भी लिया जा रहा है, वे अभी किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं, यदि विधानसभा चुनाव के मद्देनजर वरिष्ठ नेता कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रदेश में यदि कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जाती है तो श्री यादव का पुनर्वास जरूरी है। पार्टी इस मौके का लाभ उठाकर उन्हें राज्यसभा म

Source : खिलावन चंद्राकर